प्रदेश की आवाज

बैतूल की भूमि से निकली फिल्म “गमन” को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मिली ख्याति

दीपक कुमार बरथे


पिता-पुत्र के रिश्ते और पलायन की मार्मिक कहानी है गमन

बैतूल। मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से जुड़ी लघु फिल्म ‘गमन’ ने हाल ही में इंडियन इंडिपेंडेंस फिल्म फेस्टिवल कोलकाता में बेस्ट इंडियन फ़िल्म का प्रतिष्ठित पुरस्कार जीतकर जिले का नाम रोशन किया है। साथ ही, गोवा में आयोजित शॉर्ट फ़िल्म फ़ेस्टिवल के ग्यारहवें संस्करण में इसे बेस्ट स्क्रीनप्ले के अवार्ड से भी नवाज़ा गया है। इस फ़िल्म का निर्देशन और लेखन शहर के भगत सिंह वार्ड निवासी अक्षत पाठक ने किया है। जिन्होंने बैतूल के जीवन और संघर्षों को सिनेमा के माध्यम से बड़े ही प्रभावी ढंग से दर्शाया है।


‘गमन’ एक पिता और पुत्र की दिल छू लेने वाली कहानी है, जिसमें समाज में हो रहे बदलाव, रोज़गार की चुनौतियां, और मानवीय संबंधों के जटिल पहलुओं को मार्मिक ढंग से दिखाया गया है। फ़िल्म की शुरुआत वहां से होती है जब बेटा, जो लंबे समय से रोज़गार की तलाश में है, एक नौकरी पाता है। ठीक उसी दिन, पिता को अपनी दर्जी की दुकान किराए में बढ़ोतरी के कारण छोड़नी पड़ती है। यह कहानी सिर्फ़ परिवार की भावनात्मक बुनावट तक सीमित नहीं रहती, बल्कि ‘गमन’ प्रवास और पलायन जैसे ज्वलंत मुद्दों को भी स्पर्श करती है।


अक्षत पाठक के निर्देशन में बनी इस फ़िल्म में प्रमुख भूमिकाओं में ज़मील अहमद अंसारी, अक्षत वरवड़े, कौस्तुभ हरित, अर्पित शाश्वत, और कलिम ज़फ़र नजर आते हैं। फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफ़ी अनिरुद्ध चौथमोल द्वारा की गई है, जबकि एडिटिंग की कमान शुचि गुप्ता ने संभाली है । फ़िल्म के साउंड डिज़ाइन और मिक्सिंग-मास्टरिंग का कार्य पीयूष जंभुलकर ने बखूबी अंजाम दिया है।

रजत दीवान ने लोकेशन सिंक एंड साउंड का कार्य कुशलता से पूरा किया है। इस फ़िल्म के पोस्ट प्रोडक्शन कार्य में बॉम्बे लोकल नामक मुम्बई की मीडिया कंपनी का विशेष योगदान रहा है।


इस फ़िल्म के निर्माता कीर्ति गर्ग पाठक हैं, जिन्होंने फ़िल्म की संकल्पना को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अक्षत पाठक की इस उपलब्धि पर समरसता सेवा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर किशोर धोटे ने उन्हें बधाई देते हुए उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी हैं।

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