प्रदेश की आवाज

68 वीं राज्य स्तरीय फुटबॉल प्रतियोगिता में बैतूल की आदिवासी बेटियों ने लहराया परचम


फाइनल में प्रदेश की संयुक्त टीम को 1-0 से हराया


जामवन्त सिंह कुमरे जयस प्रदेश संयोजक ने शुभकामनाएं देकर सम्मानित किया

बैतूल। 68वीं राज्य स्तरीय फुटबॉल प्रतियोगिता में नर्मदा पुरम संभाग की आदिवासी बच्चियों ने फुटबॉल के मैदान में अपना जलवा बिखेरा। बैतूल जिले के छोटे से गांव की इन बच्चियों ने खेल प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए इंदौर को 2-0, उज्जैन को 5-0 और भोपाल को 1-0 से हराकर फाइनल में जगह बनाई। फाइनल में आदिवासी बच्चियों ने जनजाति कार्य विभाग की संयुक्त प्रदेश 3 टीम को 1-0 से मात देकर खिताब अपने नाम किया।


बैतूल जिले के आदिवासी फुटबॉल क्लब का नेतृत्व कोच कृष्णकांत उइके कर रहे हैं। इन बच्चियों की कड़ी मेहनत और कोच के बेहतर प्रशिक्षण ने इन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। कृष्णकांत उइके ने बताया कि यदि शासन-प्रशासन से इन बच्चों को उचित सुविधाएं और प्रोत्साहन मिले तो ये बच्चियां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन कर सकती हैं।


खेल विभाग की निष्क्रियता पर सवाल, खिलाड़ियों के लिए बेहतर सुविधाओं की मांग
जयस प्रदेश संयोजक जामवन्त कुमरे ने खेल विभाग की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि गांव-गांव में खेल प्रतिभा छुपी हुई है, लेकिन जरूरत है उन्हें निखारने और उचित प्रशिक्षण देने की। प्रशासन और खेल विभाग की लापरवाही के कारण आदिवासी क्षेत्रों में खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने वाली कोई समिति नहीं है। उन्होंने कहा कि स्कूलों में खेल प्रकोष्ठ भी बदहाल स्थिति में हैं, जिससे खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा है।


फाइनल जीत के बाद मिली बधाइयां
आदिवासी बच्चियों के इस शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें बधाइयों का तांता लग गया। जामवन्त कुमरे सहित कई अन्य जनप्रतिनिधियों ने इन बच्चियों को शुभकामनाएं दीं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि बैतूल जैसे ग्रामीण क्षेत्रों से निकली ये प्रतिभाएं भविष्य में देश का गौरव बन सकें।


सरकार से सुविधाओं की मांग
कोच कृष्णकांत उइके ने बताया कि इन बच्चियों में खेल प्रतिभा कूट-कूट कर भरी हुई है, लेकिन उचित सुविधाओं की कमी के चलते वे अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन नहीं कर पा रही हैं। यदि सरकार और खेल विभाग से इन्हें विशेष सुविधाएं मिलें तो ये बच्चियां भविष्य में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े-बड़े टूर्नामेंट्स में देश का नाम रोशन कर सकती हैं।

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