प्रदेश की आवाज

मंत्रियों के बंगलों पर प्रदर्शन करने हजारों अस्थाई कर्मचारी पहुंचे भोपाल, शाहजानी पार्क में डाला डेरा



मंत्रियों से मिले प्रतिनिधिमंडल, दिया वेतन में बढोतरी करने का भरोसा


नौकरी करते हुए भूखों मरने से अच्छा है मंत्रियों के बंगलों पर भूखे बैठना:वासुदेव शर्मा

भोपाल/ प्रदेश की 23 हजार ग्राम पंचायतों के चौकीदार, नल जल चालक, भृत्य , सफाई कर्मी एवं हजारों स्कूलों, छात्रावासों के अंशकालीन भृत्य, रसोईया मंत्रियों के बंगलों पर धरना देने सुबह से ही बडी संख्या में पहुंचे और शाहजहानी पार्क में डेरा डाल दिया।

इन कर्मचारियों को पहले पोलीटैक्निक चौराहे पर एकत्रित होना था लेकिन प्रशासन से देर रात तक चली बातचीत के बाद शाहजहानी पार्क में एकत्रित होने की सहमति इस शर्त पर बनी कि वे कर्मचारियों की मुलाकात मंत्रियों से कराएंगे, जिन्हें ग्यापन दिया जाएगा।

अस्थाई कर्मचारी मोर्चा के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा के आव्हान पर यह कर्मचारी भोपाल पहुंचे हैं, जिनका नेतृत्व डा अमित सिंह पंचायत चौकीदार संघ के अध्यक्ष राजभान रावत, नत्थूलाल कुशवाह, अनिल यादव, दयाचंद वर्मा, अंशकालीन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष उमाशंकर पाठक, मनोज उईके, मंजीत गोस्वामी, विजय तनखाने, सुरेश पवार सहित दर्जनों पदाधिकारी कर रहे थे।


शाहजहानी पार्क में जमा हुए अस्थाई कर्मचारियों की सरकार को दो टूक चेतावनी है कि 3-5 हजार में नौकरी करके भूखों मरने से बेहतर है भोपाल में मंत्रियों के बंगलों पर तब तक भूखों बैठे रहना, जब तक वेतन वृद्धि का आदेश नहीं हो जाता।


प्रशासन के साथ पंचायत मंत्री, शिक्षा मंत्री एवं ट्रायल मंत्री मंत्रियों से 5-5 सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल मिलने गया और मांगपत्र दिया गया, जहां से वेतन वृद्धि करने और शेष मांगे भी जल्द पूरा करने का आश्वासन दिया गया। धरना शाम 5 बजे तक चला। पूर्व मंत्री पी सी शर्मा ने धरने में पहुंचकर मांगों का समर्थन कर हक की लडाई में साथ देने की बात कही।


मोर्चा के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने प्रदर्शन में शामिल कर्मचारियों की पीडा का जिक्र करते हुए कहा कि पंचायतों के चौकीदार, पंप आपरेटरों, अंशकालीन कर्मचारियों के प्रति सरकार का रवैया छुआछूत जैसा है, यह कर्मचारी 15-20 साल से काम कर रहे हैं लेकिन अभी तक एक बार भी सरकार के किसी मंत्री ने इनसे बातचीत नहीं की, कभी इनके प्रतिनिधि मंडल को बातचीत के लिए नहीं बुलाया, इनकी समस्याएं क्या हैं यह तक जानने की कोशिश नहीं की।

जब सरकार ने इनकी समस्याएं सुनी ही नहीं, तब हल कैसे होंगी। कडकडाती ठंड में यह कर्मचारी मंत्रियों को अपनी व्यथा सुनाने आएं है, इसलिए मंत्रियों को इनकी बात सुननी ही चाहिए यदि हमारी मांगे पूरी नहीं हुई तो हम बजट सत्र के दौरान फिर आएंगे और विधानसभा का घेराव करेंगे।

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