बैतूल विधानसभा चुनाव में टेंट हाउस घोटाले का खुलासा
टेंट बिलों में लाखों का अंतर,आरटीआई से सामने आए चौंकाने वाले तथ्य
आवेदक कन्हैयालाल चौकीकर ने उठाए विधानसभा की निविदा प्रक्रिया पर सवाल, जांच को बताया अपारदर्शी
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी तक पहुंची विधानसभा टेंट हाउस घोटाले की शिकायत पहुंची
बैतूल। विधानसभा चुनाव में टेंट हाउस से संबंधित निविदा प्रक्रिया, बिल भुगतान और जांच प्रतिवेदन को लेकर अब मामला मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के संज्ञान में पहुंच गया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं आरटीआई जागरूकता संगठन भारत के जिला संगठन मंत्री कन्हैयालाल चौकीकर ने इस पूरे प्रकरण में गंभीर अनियमितताओं और पक्षपात का आरोप लगाया है।
उनके अनुसार, सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेजों में यह साफ उजागर हुआ है कि आमंत्रित निविदा दरों को दरकिनार कर जिला पंचायत की दरों पर टेंट हाउस का कार्य कराया गया, जिससे शासन को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है।
कन्हैयालाल चौकीकर ने बताया कि विधानसभा चुनाव के दौरान टेंट हाउस के काम को लेकर जो निविदा आमंत्रित की गई थी, उसे निरस्त कर जिला पंचायत बैतूल की दरों पर कार्य कराया गया। निर्वाचन अधिकारी द्वारा अपने प्रतिवेदन में उल्लेख किया गया कि पंकज टेंट हाउस, बैतूल से बीस लाख रुपये में कार्य कराया जाना प्रस्तावित था, किंतु सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त बिलों के अनुसार 33 से 40 लाख रुपये तक का भुगतान किया गया, जो अपने आप में बड़े आर्थिक घोटाले की ओर संकेत करता है।
उन्होंने बताया कि इस बारे में उन्होंने 2 मई 2024 को निर्वाचन अधिकारी को लिखित शिकायत दी थी कि किस प्रकार से सांठगांठ कर गलत बिलों के माध्यम से राशि निकाली गई है। इसके जवाब में एसडीएम बैतूल द्वारा उन्हें एक पत्र जांच के लिए भेजा गया, जिसका उन्होंने 10 जून 2024 को विस्तृत लिखित उत्तर प्रस्तुत किया। इसके पश्चात उन्होंने कई बार निर्वाचन कार्यालय और कलेक्टर बैतूल से निवेदन किया कि उन्हें जांच प्रतिवेदन की प्रति दी जाए, जो अंततः उन्हें 13 फरवरी 2025 को सूचना के अधिकार के अंतर्गत प्राप्त हुई ।

- जांच प्रक्रिया में नहीं बरती पारदर्शिता
कन्हैयालाल चौकीकर ने यह भी आरोप लगाया कि जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई। ना तो शिकायतकर्ता को उपस्थित किया गया और ना ही टेंट हाउस कार्य की निर्वाचन कार्यालय द्वारा की गई विडियोग्राफी से कोई मिलान किया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि विधानसभा चुनाव के दौरान जो टेंट सामग्री प्रयोग में लाई गई थी, वही सामग्री लोकसभा चुनाव में भी उपयोग में लाई गई, जिससे इसकी जांच प्रत्यक्ष रूप से की जा सकती थी। डोम, राउंड सिलिंग, लाइट, साउंड और बिछायत जैसी सामग्री की गुणवत्ता, आकार और लागत की तुलना संभव थी, परन्तु जांचकर्ता अधिकारियों ने ऐसा करना उचित नहीं समझा।
उन्होंने यह भी बताया कि बैतूल विधानसभा के जांच प्रतिवेदन में पीडब्ल्यूडी के सब इंजीनियर ने स्पष्ट किया कि उन्हें डोम, सिलिंग, लाइट, साउंड और बिछायत की संरचना के बारे में जानकारी नहीं दी गई, फिर भी सत्यापन कर दिया गया। वहीं भैंसदेही विधानसभा के बिलों में अनुविभागीय अधिकारी द्वारा यह कहा गया कि भुगतान जिला पंचायत की दरों के अनुसार किया गया, जबकि निविदा की शर्तों में स्पष्ट उल्लेख है कि सभी कर उक्त दरों में समाहित हैं। इसके बावजूद 18 प्रतिशत जीएसटी जोड़कर भुगतान किया गया, जो स्पष्ट रूप से शासन के राजस्व को हानि पहुंचाने की श्रेणी में आता है। - निष्पक्ष जांच की मांग
कन्हैयालाल चौकीकर ने अपनी शिकायत में कहा कि यदि 2 मई 2024 को की गई उनकी शिकायत पर तत्परता से जांच होती, तो डोम, लाइट, साउंड, बिछायत जैसे तत्वों में अंतर स्पष्ट हो जाता। उन्होंने पूर्व में दिए अपने आवेदन में भी लिखा था कि जांच में निर्वाचन कार्यालय द्वारा की गई विडियोग्राफी का मिलान आवश्यक है, जो जानबूझकर नहीं किया गया।
उन्होंने मांग की है कि बैतूल विधानसभा से संबंधित इस जांच प्रतिवेदन को गंभीरता से लिया जाए और निष्पक्ष जांच कराई जाए। उन्होंने यह भी बताया कि पूर्व में भी शिकायत की गई थी फिर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। उनके पास अभी और भी कई प्रमाण और दस्तावेज सुरक्षित हैं, जिन्हें वह आवश्यकता पड़ने पर जांच के समय प्रस्तुत करेंगे।
कन्हैयालाल चौकीकर ने यह स्पष्ट किया है कि जब तक इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच नहीं की जाती और दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक वे लगातार संबंधित उच्च अधिकारियों को अवगत कराते रहेंगे और आवश्यकता पड़ने पर न्यायालय का भी सहारा लेंगे।
नोट- यह खबर कन्हैयालाल चौकीकर द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर मीडिया को प्रेषित। इस न्यूज़ में व्यक्त विचार कन्हैयालाल चौकीकर के हैं।
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