प्रदेश की आवाज

मध्यप्रदेश शासन, उच्च न्यायालय एवं केंद्र सरकार के नाम सौंपा ज्ञापन

संजय विश्वकर्मा छिंदवाड़ा

सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता एवं आरक्षण नीति के क्रियान्वयन की माँग को लेकर देवरावेन भलावी ने उठाई आवाज

मध्यप्रदेश शासन, उच्च न्यायालय एवं केंद्र सरकार को संबोधित ज्ञापन सौंपा

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) के जिला अध्यक्ष एवं नेशनल रेवोल्यूशन फ्रंट के संस्थापक-अध्यक्ष देवरावेन भलावी द्वारा मध्यप्रदेश में शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति प्रक्रिया में व्याप्त मनमानी, अपारदर्शिता और सामाजिक न्याय की उपेक्षा के विरुद्ध एक विस्तृत एवं गंभीर ज्ञापन पत्र प्रस्तुत किया गया है। उक्त पत्र मुख्य न्यायाधीश, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय, महाधिवक्ता, विधि मंत्री, मुख्यमंत्री एवं भारत सरकार के विधि एवं न्याय मंत्री को प्रेषित किया गया है।

ज्ञापन का सार एवं प्रमुख आपत्तियाँ:
1. संविधान की अवहेलना:
वर्तमान में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा महाधिवक्ता, उप-महाधिवक्ता, शासकीय अधिवक्ता, सहायक अधिवक्ता एवं पैनल अधिवक्ताओं की नियुक्तियाँ बिना सार्वजनिक विज्ञापन, आरक्षण नीति या पारदर्शी चयन प्रक्रिया के की जा रही हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता), 16 (रोजगार में समान अवसर) और 335 (SC/ST के हितों का संरक्षण) का उल्लंघन है।
2. SC/ST/OBC वर्ग की उपेक्षा:
राज्य में बड़ी संख्या में योग्य वकील SC/ST/OBC वर्ग से हैं, जिन्हें केवल जातिगत पूर्वग्रह के कारण सरकारी प्रतिनिधित्व से वंचित रखा गया है। विगत वर्षों में हुई नियुक्तियों में इस वर्ग की घोर उपेक्षा सामने आई है।
3. मध्यप्रदेश लोक सेवा आरक्षण अधिनियम, 1994 के तहत अधिवक्ताओं की नियुक्ति में आरक्षण का स्पष्ट प्रावधान न होने से सामाजिक न्याय की अवधारणा प्रभावित हो रही है।

प्रमुख विधिक एवं नीतिगत माँगें:
1. आरक्षण नीति का तत्काल क्रियान्वयन:
सभी स्तरों पर (महाधिवक्ता से लेकर पैनल अधिवक्ताओं तक) SC/ST/OBC वर्ग के लिए आरक्षण सुनिश्चित किया जाए।
2. पारदर्शी चयन प्रणाली:
अधिवक्ताओं की नियुक्ति के लिए खुला विज्ञापन, मेरिट आधारित मूल्यांकन, साक्षात्कार एवं आरक्षण मानकों के अनुसार चयन प्रक्रिया निर्धारित की जाए।
3. स्वतंत्र ‘न्यायिक नियुक्ति आयोग’ की स्थापना:
एक स्वायत्त न्यायिक आयोग का गठन कर शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति प्रक्रिया को राजनैतिक हस्तक्षेप से मुक्त किया जाए।
4. SC/ST/OBC अधिवक्ताओं के लिए विशेष प्रशिक्षण योजनाएँ:
उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय में अधिवक्ता पैनल में प्रतिनिधित्व बढ़ाने हेतु विधिक शोध, वकालत कौशल, डिजिटल लॉ आदि पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जाएँ।
5. पूर्व नियुक्तियों की न्यायिक जाँच:
विगत 10 वर्षों की नियुक्तियों की न्यायिक/स्वतंत्र समीक्षा की जाए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कितने पदों पर किस वर्ग को अवसर मिला।

आंदोलन की चेतावनी:

देवरावेन भलावी ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र इस गंभीर विषय पर उचित विधिक व प्रशासनिक कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मुद्दा माननीय उच्च न्यायालय में याचिका के माध्यम से उठाया जाएगा तथा समस्त प्रदेश में जनजागरूकता अभियान, धरना-प्रदर्शन और कानूनी जनसंघर्ष प्रारंभ किया जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल व्यक्तिगत हित नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा का मुद्दा है, जिससे लाखों वंचित वर्ग के युवा वकीलों को न्याय मिलेगा।

देवरावेन भलावी का वक्तव्य:“सरकारी वकीलों की नियुक्ति प्रक्रिया में व्याप्त भेदभावपूर्ण व्यवस्था, न केवल हमारे संविधान के मूल अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह लोकतंत्र और न्याय प्रणाली पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। हम इसकी अनदेखी नहीं कर सकते। अब वक्त है कि न्याय प्रणाली में विविधता, प्रतिनिधित्व और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी जाए।”

नोट: यह प्रेस विज्ञप्ति समाज के सभी वर्गों, अधिवक्ता समुदाय, सामाजिक संगठनों और मीडिया से अनुरोध करती है कि वे इस जनहित विषय को प्रमुखता से उठाएँ और न्याय की स्थापना में सहभागी बनें।

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