प्रदेश की आवाज

हिमांशु सिंह की सफलता की दासता

नगर पालिका मे वालीबॉल का मैदान होता, मैदान के चारो ओर खचाखच दर्शको का जमावड़ा लगा होता , वालीबाल प्रतियोगिता का फाइनल मैच भारत की प्रतिष्ठित टीमों के बीच मुक़ाबला जहां हैदराबाद के खालिक के शॉट्स को देखने भीड़ उमड़ती वहीं दूसरी ओर दर्शक उस हैरतंगेज प्रदर्शन को देखने की होड़ मचा देते जिसमे मैदान विरोधी टीम की ओर दस नए पैसे का सिक्का रख दिया जाता नेट पर गेंद बनाते पद्ममनी_ रंजन और फिर भीड़ से तेज आवाज आती मार नारायण सिंह, मार और फिर हवा मे उछलते हुए अपनी लंबाई का भरपूर फ़ायदा उठाते गेंद को तेज शॉट से गेंद को जमीन मे नारायण सिंह गाड़ देते , सिक्का अपनी जगह से हवा मे उछल जाता भीड़ यह अद्भुत प्रदर्शन देख अपनी जगह से उठ खड़ी हो नारायण सिंह ठाकुर का जोरदार तालियों से अभिनंदन करने लगती आज भारत वाली बॉल मे हमारे बैतूल की देश मे शान बनाने वाले नारायण सिंह ठाकुर की दूसरी पीढ़ी के नौनीहाल बच्चो ने प्रतियोगिता परीक्षाओ मे अपनी मेहनत लगनशीलता से वह कर दिखाया जो कभी इन बच्चो के दादा ने वाली बॉल के मैदान मे अपने देश के लिए प्रदर्शन कर दिखाते हुए देश के तिरंगे को हवा मे फहरा दिया था ।
श्री नारायण सिंह ठाकुर के बड़े सुपुत्र सुरेंद्र सिंह ठाकुर के सुपुत्र ने संघ लोक सेवा की परीक्षा पास करते हुए आई ए एस बनने का गौरव हासिल कर हम सभी को गौरांवित किया तो वही तीसरे सुपुत्र अनिल सिंह ठाकुर के सुपुत्र हिमांशु सिंह ठाकुर ने अपने बड़े भाई ठाकुर अजित सिंह हमारे प्यार के टंटू के नक्शे कदम चलते संघ लोक सेवा की मिनिस्ट्री फॉर कॉरपोरेट मे असिटेंट डायरेक्टर की पोस्ट पर चयनित होकर जमीन मे गड़ा अपनी मेहनत का सिक्का अपने दादा नारायण सिंह की भांति आसमान मे उछाल दिया। मैदान भले ही अलग अलग है किंतु मेहनत , लगन, नैतिकता ईमानदारी के पैमाने एक से है ।
अनिल सिंह बताते है हम जरूरत के दो हजार की जगह यदि हिमांशु को तीन हजार रुपए भेज देते तो एक हज़ार वह इसलिए वापिस कर देता की आवश्यकता से अधिक मेरी पढ़ाई मे , तैयारी मे व्यवधान उत्पन्न कर देगा जब कोई बच्चा कोइ बेटा इस बडी सोच से अपने लक्ष्य को पाने के लिए समर्पित हो तो भला उसे सफ़लता की सीढ़ी चढ़ने से कौन रोक सकता है? हिमांशु ने एक बात ओर सिद्ध कर दी की यदि आपके पास मेहनत , नैतिकता ईमानदारी आपके भीतर कूट कूट कर भरी हैं तो बाकी की वह बाते बकवास नजर आती है जो आजकल स्थान स्थान पर सुनाई पड़ती हैं की योग्यता को बढ़ने नही दिया गया आदि आदि । ये बच्चा बैतूल की ही मिट्टी मे पला बढ़ा , यही खड्डो उबड़ खाबड़ सड़कों मे सायकिल को उछालते चलाते हुए स्कूल पढ़ने गया, हिमांशु का बचपन कोई सिविल लाइन एरिया मे स्थित आवास मे नही बीता बल्कि उसका बचपन सकरी मुल्ला गली मे ही बीता किन्तु नारायण सिंह की दूसरी पीढ़ी के बच्चो ने चाहे वह बड़े पुत्र सुरेंद्र सिंह ठाकुर के बेटे बेटी की बात करें या फिर दूसरे सुपुत्र विरेन्द्र सिंह ठाकुर के बेटे जिसे हम प्यार से बाबू कहकर पुकारते हैं हॉलैंड मे उच्च शिक्षा ले रहे है वहीं बेटी साक्षी ऑस्ट्रेलिया मे बैंकिंग क्षेत्र मे उच्च पद पर कार्यरत है या फिर तीसरे सुपुत्र अनिल सिंह ठाकुर के सुपुत्र को हम देखे,इसी गली मे खेलते कूदते , बैतूल की इन्ही पाठशालाओ मे अध्ययन कर अपने परिवार का , अपने शहर का पूरे देश मे नाम रोशन करते हैं। हिमांशु की बहन तनिष्का ने भी अपनी प्रतिभा का झंडा गाड़ते हुए प्रतिष्ठित वनस्थली गर्ल्स कॉलेज जयपुर से पढ़ाई करने के बाद बेहद लोकप्रिय कॉलेजों में से एक सेंट स्टीफन कॉलेज दिल्ली से फ्रेंच भाषा सीखकर आज गुडगांव में नौकरी कर रही है।प्रतिभा , योग्यता कभी किसी की मोहताज नहीं फिर वह चाहे संघ लोक सेवा का मंच हो या फ़िर कौन बने करोड़पति का मंच मेहनत नैतिकता ईमानदारी अपना रंग दिखाती ही है।
हमारे वरिष्ठतम इंटरनेशनल वाली वॉल खिलाड़ी नारायण सिंह ठाकुर और हमारे जिले के विख्यात टीचर के बी सिंह सर के पोते की सफलता मे दादा और नाना को साथ साथ याद नहीं किया जाए तो सफ़लता की गहराई को नही समझा जा सकता है क्योंकि हिमांशु के दादा और नाना का व्यक्तित्व ही ऐसा है जिसकी चमक हिमांशु की सफ़लता मे सपष्ट दिखाई देती हैं। वही इन बच्चो की माताओं ने बच्चो को तराशने और लायक बनाने मे जो योगदान और भूमिका निभाई है उसे याद करना हमारा नैतिक कर्तव्य है जिन्होंने बहुत मेहनत से अपने बच्चो को इस लायक बनाया हैं की वे आज नाम रोशन कर रहे हैं, हम बच्चो की माताओं के कदमों मे नमन करते हैं।अनिल सिंह दंपती के बेटे हिमांशु को सभी नगर वासियों की ओर से बहुत बहुत शुभ कामनाएं और बधाई। सारे ठाकुर परिवार को बहुत बहुत शुभ कामनाएं और बधाई।
हेमंत चन्द्र दुबे बबलू
75 कदम 75 दिन

फोटो कैप्शन – 1958 में कटक में आयोजित नेशनल वालीबाल चैंपियनशिप में झंडा लेकर मध्यप्रदेश टीम का नेतृत्व करते श्री नारायण सिंह ठाकुर

  • नेशनल गेम्स मे खेल मशाल लेकर दौड़ते हुए हिमांशु सिंह के दादा इंटरनेशनल वाली वॉल खिलाड़ी श्री नारायण सिंह ठाकुर
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