बैतूल। बीजासनी माता मंदिर बैतूल गंज में राधाष्टमी का पर्व श्री राधा महारानी के जन्मोत्सव के रूप में धूमधाम एवम अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर मंदिर समिति के सदस्यों के अथक प्रयासों से जो झांकियां बनाई गई थीं उनसे भक्तगणों एवं श्रद्धालु दर्शकों की निगाहें हटने का नाम ही नहीं ले रही थीं।। श्री राधा माता के बाल स्वरूप की दो झाकियां तैयार की गईं हैं जिनमे एक में माता पालने में झूला झूल रही हैं तथा दूसरी झांकी में अत्यंत सुंदर स्वरूप में सभी को दर्शन दे रही हैं।
इसके अलावा एक झांकी भांडेर वन गांव की बनाई गई है जहां गौ माता अपने बछड़े को मां की कुटिया के सम्मुख दूध पिला रही है। भांडेर वन के बारे में गर्ग संहिता में उल्लेख है कि यहां भगवान कृष्ण एवं राधाजी का विवाह हुआ था। साथ ही एक झांकी राधा कृष्ण जी की बनाई गई है जिसमे भगवान कृष्ण माता राधा जी को बांसुरी सुना रहे हैं। मंदिर परिसर की साज सज्जा एवं लाइटिंग देखते ही बन रही है। ठीक रात्रि 8 बजे से भजन संध्या प्रारंभ हुई तथा राधाजी एवं भगवान कृष्ण के भजनों से ऐसा समा बंधा की श्रद्धालु भक्ति में भावविभोर होकर नृत्य करने पर विवश हो गए। राधाष्टमी के महत्व पर चर्चा करते हुए मंदिर समिति के संस्थापक एवं आयोजन समिति के अध्यक्ष, साधक पंडित दीपक शर्मा ने बताया कि राधा जी के चरणों की भक्ति भगवान कृष्ण स्वयं भी करते हैं। इस संबंध में एक पौराणिक कथा का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया की एक बार भगवान कृष्ण इतने अधिक बीमार हो गए कि कोई औषधि से ठीक नहीं हो पाए तब राधा जी के चरण धोकर वह चरणामृत उन्हें पिलाया गया तब वे स्वस्थ हुए। भजनों का कार्यक्रम रात्रि 12 बजे तक चला तथा “माई दे भवन ते फुलां दी बरखा ” इस भजन के साथ फूलो की वर्षा की गई तथा जन्मोत्सव मनाया गया जिसके उपरांत मिठाई, माखन मिश्री एवं केसर दूध का भोग लगाकर आरती हुई तथा प्रसाद वितरित किया गया। मंदिर समिति ने इस कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु सभी का आभार व्यक्त किया है।
