

गुरुओं के आचरण से होती है जीवन में समता और वैराग्य की प्राप्ति – प्रियता जी म. सा
महापुरुषों के गुण अपनाकर करें जीवन का उद्धार
पर्युषण पर्व के प्रथम दिवस पर प्रियता जी म. सा ने दिए प्रवचन
बैतूल। जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के स्थानक भवन में रविवार, 1 सितंबर को पर्युषण पर्व के प्रथम दिवस पर परम पूज्य 1008 आचार्य रामलाल जी महाराज साहब की सुशिष्या प्रियता जी महाराज साहब ने अपने प्रवचनों के माध्यम से महापुरुषों के गुणों और जीवन जीने की कला को अपनाने का आह्वान किया। इस अवसर पर अरिहंत महिला मंडल द्वारा भजन की प्रस्तुति दी गई, जिसने कार्यक्रम में भक्तिभाव की सजीवता ला दी।
प्रियता जी महाराज साहब ने अपने उद्बोधन में बताया कि संसार में कई महापुरुष हुए हैं, जिनके जीवन जीने की कला और गुणों को अपनाकर हम अपने जीवन का उद्धार कर सकते हैं। उनके अनुसार, जीवन में वैराग्य, समता और समकित जैसे भाव केवल महापुरुषों और आचार्यों के सत्संग से ही प्राप्त हो सकते हैं। प्रियता जी महाराज ने कहा, यदि हमने गुरुओं के जीवन आचरण को अपने जीवन में उतार लिया, तो हमारा उद्धार निश्चित है। इस कलयुग में, भटकते जीवों के लिए पथ प्रदर्शक और धर्म ही सही मार्ग है। गुरुओं का सम्मान करना और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करना हमारी जिम्मेदारी है।उन्होंने आगे कहा कि श्रावकों के जीवन में परिवेश, परिवार, पैसा, परिजन, प्रतिष्ठा, परोपकार और परमात्मा का महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन इनमें ईर्ष्या, बदले की भावना, झूठ, कपट, राग और द्वेष नहीं होना चाहिए। यदि हम समाज और परिवार में समता और समकित का भाव रखते हैं, तभी पर्युषण पर्व का सही अर्थ में मनाना सार्थक हो सकेगा। कार्यक्रम के दौरान अरिहंत महिला मंडल की अलका गोठी, रूपल गोठी, मानसी तातेड़, सुनंदा तातेड, स्नेहलता सुराणा और लीना तातेड़ ने भजन की प्रस्तुति दी, जिसने माहौल को भक्तिमय बना दिया। संचालन रमन गोठी ने किया। इस आयोजन के बारे में जानकारी संघ के प्रचार मंत्री सतीश पारख ने दी।