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बीजासनी मंदिर:नवरात्र में जहां नौ बहनों की होती हैं आराधना


नवमी की रात्रि में सिद्धिदात्री माता भक्तों को देकर जाती है सिद्धि, पूरी होती हैं मनोकामना
दशमी के दिन मां का होता है मां से मिलन, उपासक छोड़ते है व्रत
अनगिनत सप्तशती के पाठ व अनुष्ठानों के चलते सिद्धपीठ की है मान्यता
एकम के दिन संध्या एवं रात्रिकाल तक भी श्रद्धालु जलवाते हैं अखंड ज्योत


बैतूल। बीजासनी माता मंदिर बैतूल जिला ही नही, अपितु देश विदेश के कई स्थानों के श्रद्धालुओं के लिए आस्था विश्वास व भक्ति का ऐसा केंद्र बन चुका है जहां अखंड ज्योत जलवा कर वे अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं जिससे उनकी मनोकामना तो पूरी होती ही है। साथ ही बिगड़े काम भी बनते हैं। मंदिर संस्थापक एवं बीजासनी माता मंदिर समिति के अध्यक्ष पंडित दीपक शर्मा ने बताया कि विगत लगभग 50 वर्षों से भी अधिक समय से यहां अनवरत दुर्गा सप्तशती के पाठ हवन अनुष्ठान होते आ रहे हैं, जिससे यह स्थान एक सिद्धपीठ का रूप ले चुका है, यहां की प्रत्येक प्रतिमा जागृत है भक्तों की अर्जी माता सुनती है, जिसके कारण उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। उनके बिगड़े काम भी बनते हैं। सलकनपुर वाली मां बीजासनी यहां की अधिष्ठात्री देवी है एवं नवरात्रि में कुल देवता, कुलदेवी, इष्ट देवता, इष्टदेवी सर्वपितृ देवताओं के साथ नवग्रह , नवदुर्गा के साथ समस्त आवाहित देवी देवताओं की विधि- विधान से पूजा अर्चना होती है, भोग लगता है, आरती होती है, यही कारण है कि जो लोग नवरात्रि में यहां अर्जी लगाते हैं उनके सभी प्रकार के पूजा के दोष दूर होते हैं जिससे मनोकामना पूरी होती है। श्री शर्मा ने बताया कि एकम के दिन रात्रिकालीन आरती तक भी भक्तजन अपनी अखंड ज्योत मंदिर के पुजारी जी से संपर्क कर जलवा सकते हैं ऐसी व्यवस्था की गई है। मंदिर समिति की ओर से उन्होंने समस्त धर्मप्रेमियों से अपील की है कि 3 अक्तूबर दिन गुरुवार को दोपहर 12 बजे के शुभ मुहूर्त में अखंड ज्योत प्रज्वलन एवं विशेष पूजन के कार्यक्रम में सम्मिलित हों तथा प्रत्येक दिन शाम 7.30 पर महाआरती में सम्मिलित होकर महाप्रसाद प्राप्त कर पुण्य लाभ लेवे।

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