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जैन दादावाड़ी और अमीझरा पार्श्वनाथ मंदिर में हुआ भव्य आयोजन

राग, द्वेष, मोह से मुक्ति के बिना नहीं मिलती तपस्या की सफलता: प्रियता जी
जैन समाज ने श्रद्धा के साथ मनाया महावीर स्वामी का जन्मोत्सव
जैन दादावाड़ी और अमीझरा पार्श्वनाथ मंदिर में हुआ भव्य आयोजन

बैतूल। जैन समाज ने गुरुवार 5 सितंबर को भगवान महावीर का जन्म महोत्सव मनाया। जैन दादावाड़ी और गंज स्थित अमीझरा पार्श्वनाथ मंदिर में भव्य कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस अवसर पर कल्पसूत्र का वाचन हुआ। तीर्थंकर भगवान जब माता के कुक्षी में आते हैं तो उनकी माता 14 स्वप्न देखती हैं उन्हीं 14 स्वप्नों की बोलियां होती है। इन स्वप्नों का महत्व जैन समाज में अत्यंत विशेष माना जाता है। निलय डागा परिवार, कांतिलाल मेहता परिवार, राजकुमार बोथरा परिवार, इंदरकरण मरोठी परिवार, रानिदान और शांतिलाल लूनिया परिवार ने इन पवित्र स्वप्नों की बोलियों का लाभ उठाया।
जैन श्वेतांबर मंदिर में भी महावीर स्वामी के जन्म महोत्सव के बाद भजन संध्या का आयोजन किया गया। इस भजन संध्या में भक्तों ने भगवान महावीर की महिमा का गुणगान किया और उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए अपने जीवन को धर्म के मार्ग पर चलाने का संकल्प लिया। संवत्सरी पर्व की तैयारी भी जोर-शोर से चल रही है, जो 7 सितंबर को मनाया जाएगा। इस पर्व के दौरान श्रावक-श्राविकाएं अपनी तपस्या और साधना के साथ भगवान महावीर की शिक्षाओं का पालन करेंगे।
— जैन धर्म में भावों की प्रधानता–
जैन स्थानक में पर्युषण पर्व के पांचवे दिवस पर प्रियता जी म.सा. ने कहा कि अनादिकाल से जीव राग, द्वेष, और मोह के चक्र में फंसा हुआ है। जैसे सांप को डंडा मारने से सांप नहीं मरता, वैसे ही जब तक मनुष्य के अंदर कषाय है, वह कितनी भी तपस्या कर ले, उसका फल नहीं मिलता। प्रियता जी म.सा. ने उदाहरण देते हुए बताया कि यदि बीज अच्छा है लेकिन भूमि बंजर है, तो फसल नहीं होगी। इसी तरह, यदि भूमि उपजाऊ है लेकिन बीज खराब है, तो भी फसल नहीं हो सकती। जैन धर्म में भावों की प्रधानता है, और जो व्यक्ति अपने जीवन में अच्छे भावों से तप और साधना करता है, वही मोक्ष की ओर अग्रसर होता है। सम्पूर्ण आयोजन की जानकारी जैन समाज के प्रचार मंत्री सतीश पारख ने दी। उन्होंने बताया कि इस महोत्सव को सफल बनाने में समाज के सभी वर्गों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यक्रम का संचालन शैंकी तातेड ने किया, जिन्होंने अपनी कुशलता से समस्त कार्यक्रम को सुचारू रूप से संपन्न कराया। जैन समाज के इस आयोजन ने पूरे नगर में धार्मिकता और आध्यात्मिकता का एक नया वातावरण बनाया।

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