प्रदेश की आवाज

क्या बुद्धि की खेती की जा सकती है: बीरबल

एक बार बादशाह ने बीरबल की बुद्धि की परीक्षा लेनी चाही। उन्होंने बीरबल से पूछा, ‘बीरबल, क्या बुद्धि की खेती की जा सकती है?’ बीरबल सोचते हुए बोला, ‘जी हुज़ूर, ज़रूर की जा सकती है।’

यह सुनकर राजा बोले, ‘तो ठीक है, तुम बुद्धि की खेती करो और उसका फल हमारे लिए लेकर आओ।’ बीरबल बोले, ‘जैसा आपका हुक्म! मैं जल्दी ही बुद्धि की खेती करके उसका पहला फल आपको भेंट करूंगा।’

सभी दरबारी राजा और बीरबल की बातें सुन रहे थे। वे हैरान थे कि बीरबल बुद्धि की खेती कैसे करेंगे और कैसे बुद्धि का फल बादशाह को भेंट करेंगे? दरबार के समाप्त होने पर बीरबल सीधे राजमाली के पास जा पहुंचे और बोले, ‘राज उद्यान में कद्दू की बेलों पर क्या कद्दू आ रहे हैं?’ माली बोला, ‘हुज़ूर! आ तो रहे हैं, पर अभी वे टमाटर जितने ही छोटे हैं।’ यह सुनकर बीरबल बहुत प्रसन्न हुए।

उन्होंने माली के कान में कुछ कहा, फिर वे राजा के पास गए और बोले, ‘जहांपनाह! मैंने बुद्धि की खेती शुरू कर दी है। मैं कुछ दिनों में आपको बुद्धि का पहला फल भेंट कर दूंगा।’ कुछ दिनों के बाद बीरबल राज उद्यान में फिर गए। वहां माली ने छोटे-छोटे कद्दू को घड़े के अंदर डाल रखा था।

यह देखकर बीरबल वापस लौट आए। उधर कद्दू मटकों में ही बड़े होने लगे। कुछ दिनों बाद कद्दू इतने बड़े हो गए कि पूरे मटकों में समा गए। बीरबल ने सारे कद्दू मटकों सहित कटवा लिए और राजा के पास संदेश भिजवाया- ‘कल सुबह मैं बुद्धि का पहला फल लेकर दरबार में आ रहा हूं।’

अगले दिन दरबार में सब बेसब्री से बीरबल का इंतज़ार करने लगे। तभी बीरबल दो मटके लिए दरबार में उपस्थित हुए और राजा से बोला, ‘जहांपनाह! मैं बुद्धि के फल ले आया हूं, किन्तु ये फल बड़े नाज़ुक हैं।

याद रहे, इन मटकों में से फल निकालते समय ध्यान रखिएगा कि न तो बुद्धि का फल कटे और न ही मटके फूटें।’ यह सुनकर बादशाह हैरान रह गए। उन्होंने मटके में झांककर देखा, तो वे बहुत हंसे। वे बीरबल की बुद्धिमानी से बहुत प्रसन्न हुए। सभी दरबारी भी बीरबल की भूरी भूरी प्रशंसा करने लगे।

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